

Global Gaon Ke Devta by Ranendra (Author)
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Global Gaon Ke Devta by Ranendra (Author)
“ग्लोबल गाँव के देवता – कथाकार रणेन्द्र का उपन्यास ‘ग्लोबल गाँव के देवता’ वस्तुतः आदिवासियों वनवासियों के जीवन का सन्तप्त सारांश है। शताब्दियों से संस्कृति और सभ्यता की पता नहीं किस छन्नी से छन कर अवशिष्ट के रूप में जीवित रहने वाले असुर समुदाय की गाथा पूरी प्रामाणिकता व संवेदनशीलता के साथ रणेन्द्र ने लिखी है। ‘अनन्य’ और ‘अन्य’ का विभाजन करनेवाली मानसिकता जाने कब से हावी है। आग और धातु की खोज करनेवाली, धातु पिघलाकर उसे आकार देनेवाली कारीगर असुर जाति को सभ्यता, संस्कृति, मिथक और मनुष्यता सबने मारा है। रणेन्द्र प्रश्न उठाते हैं, ‘बदहाल ज़िन्दगी गुज़ारती संस्कृतिविहीन, भाषाविहीन, साहित्यविहीन, धर्मविहीन। शायद मुख्यधारा पूरा निगल जाने में ही विश्वास करती है… छाती ठोंक-ठोंककर अपने को अत्यन्त सहिष्णु और उदार कहनेवाली हिन्दुस्तानी संस्कृति ने असुरों के लिए इतनी भी जगह नहीं छोड़ी थी। वे उनके लिए बस मिथकों में शेष थे। कोई साहित्य नहीं, कोई इतिहास नहीं, कोई अजायबघर नहीं। विनाश की कहानियों के कहीं कोई संकेत मात्र भी नहीं।’ ‘ग्लोबल गाँव के देवता’ असुर समुदाय के अनवरत जीवन संघर्ष का दस्तावेज़ है। देवराज इन्द्र से लेकर ग्लोबल गाँव के व्यापारियों तक फैली शोषण की प्रक्रिया को रणेन्द्र उजागर कर सके हैं। हाशिये के मनुष्यों का सुख-दुख व्यक्त करता यह उपन्यास झारखण्ड की धरती से उपजी महत्त्वपूर्ण रचना है। असुरों की अपराजेय जिजीविषा और लोलुप-लुटेरी टोली की दुरभिसन्धियों का हृदयग्राही चित्रण।”
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📚 Book Details
Author | Ranendra |
ISBN Number | 9789355185884 |
Edition | New Edition |
Published Year | 2025 |
Language | Hindi |
Total Pages | 100 |
Book Cover Image | ![]() |
Book Category | Classic Fiction |
Book Tags | Global Gaon Ke Devta, Ranendra Hindi Novel, Hindi Tribal Literature, Adiwasi Sangharsh, Globalization and Tribals, Hindi Literature for UPSC, Social Justice Books, Jal Jungle Zameen Novel, Hindi Novels on Tribal Issues, Ranendra Books |
Book Summary | "ग्लोबल गांव के देवता" लेखक रणेन्द्र द्वारा लिखा गया एक सामाजिक और यथार्थपरक उपन्यास है, जो वैश्वीकरण और कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ आदिवासियों की जंग को दर्शाता है। यह कहानी झारखंड के एक गाँव की है, जहाँ बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विकास के नाम पर संसाधनों का दोहन करती हैं और आदिवासी समाज को उजाड़ने की कोशिश करती हैं। उपन्यास में आपको मिलेगा: जल-जंगल-जमीन का संघर्ष आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व की लड़ाई सामाजिक आंदोलन की पृष्ठभूमि वैश्वीकरण की सच्चाई यह पुस्तक सामाजिक विज्ञान, राजनीति और हिंदी साहित्य के छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। |
Languages Available | Hindi |
Publication Name | Bharatiya Jnanpith Vani Prakashan |
HSN Code | 4901 |
Exam Name | Classic Fictions |
Specification
Weight | 0.5 kg |
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Dimensions | 5 × 5 × 5 cm |
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